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Pallavi PS

Romance

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Pallavi PS

Romance

आरज़ू

आरज़ू

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ना वो हमसे वाकिफ़ थे,

ना हीं हम उनसे वाकिफ़ थे, बस

अजनबी राहें हमे खिंचे जा रही थी,

दिल काफी नादान सा था, उफ़्फ़

ज़रा सी मोहब्बत की आरज़ू थी।


दिल में दूर होने का इरादा न था,

ज़हन कभी पास जाने न देती थी।

दिल काफी नादान सा था, उफ़्फ़

ज़रा सी मोहब्बत की आरज़ू थी।


हया से नज़रे झुकाए नादान दोनो,

छुप के एक दूजे को ही देखते रहते।

दिल काफी नादान सा था, उफ़्फ़,

ज़रा सी मोहब्बत की आरज़ू थी।


निगाहों में काफी शरारत थी,

होठों पे हल्की मुस्कुराहट थी।

दिल काफी नादान सा था, उफ़्फ़

ज़रा सी मोहब्बत की आरज़ू थी।


इज़हार करते-करते वो रुक जाते,

फिर मुस्कुरा के पीछे मुड़ जाते।

दिल काफी नादान सा था, उफ़्फ़,

ज़रा सी मोहब्बत की आरज़ू थी।


 आखिर दोनो की अनकही कशिश ने,

 खूबसूरत मोहब्बत की अल्फाज़ बुनी 

 दिल काफी नादान सा था, उफ़्फ़

 ज़रा सी मोहब्बत की आरज़ू थी।


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