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Dayasagar Dharua

Romance

3  

Dayasagar Dharua

Romance

विंडो सीट

विंडो सीट

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बैठना चाहता हूँ

किसी सरकारी बस के

विंडो सीट पर

तेरी ही बगल में

जहाँ तू सो जाये मेरे कंधे पर

सर रख कर


फिर शरारतें करने लगें

तेरी चोटीयों के बंधन से

फिसलती लटें

तुझे परेशान करने लगें

मैं उनसे संघर्ष करुँ

तेरी गालों से समेट कर

वापस तेरी कानों के पास

उन्हें खोंस दूँ


पर चुपचाप उनसे कह दूँ

कि वो तुझे फिर से तंग करें

बारी बारी छेड़ने लग जायें

ताकि मुझे फिर से मौका मिले

तेरी लटों को संवारने का

तेरी गालों को किसी बहाने छूने का


फिर लटें बिखरती रहें

मैं समेटता रहूँ, संवारता रहूँ

तू सोती जाये . . 

मेरे कंधे पे बोझ डालती जाये

और ये सरकारी बस

धीरे धीरे सरकती जाये।


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