तुम अभी ठहरो जरा
तुम अभी ठहरो जरा
तुम अभी ठहरो जरा, तुझको आंखों में बसा लूं ,
तुझको आंखों में बसा लूं, आंख का काजल बना लूं।
तुम अभी ठहरो जरा।
मैं रही ना मैं, ऐसे तुम मनमीत आए,
मेरे इस कोमल हृदय में, बनके जुगनू टिमटिमाए,
रह ना पाते चांद तारे आसमां बिन इस जहाँ में,
इस जमीं पर तेरे दिल को अपना मैं तो घर बना लूं,
तुझको आंखों में बसा लूं, आंख का काजल बना लूं।
तुम अभी ठहरो जरा।
दिन की इस गोधुलि में, तुम दिखो जैसे धवल सा,
रात की सोई गली में, तुम दिखो जैसे किरन सा,
रोशनीमय इस धरा पर मेरा ना अस्तित्व तुम बिन,
खो ना जाओ तुम कहीं, तुझको सांसों में सजा लूं,
तुझको आंखों में बसा लूं, आंख का काजल बना लूं।
तुम अभी ठहरो जरा।
क्या है खोना क्या है पाना, दिल नहीं यह जानता है,
दिल ये तो बस धड़कनों की आहटे पहचानता है,
यादों से सपने सजने और ख्वाब ये देखें निरंतर,
तेरे स्नेहिल दो नयन को अपना मैं तो घर बना लूं,
तुझको आंखों में बसा लूं, आंख का काजल बना लूं।
तुम अभी ठहरो जरा।