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Hricha Patel

Others

4.5  

Hricha Patel

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वृद्धावस्था

वृद्धावस्था

1 min
535


यह कविता उस भाव को प्रदर्शित करता है जो माता पिता अपने बच्चों से उम्मीद करते हैं।

थक गये हैं मेरे पैर, आकर मुझे थाम लो तुम।

हिलने लगे हैं हाथ मेरे, स्मृति होने लगी है गुम ।।

थक गये हैं मेरे पैर, आकर मुझे थाम लो तुम.........

दिखने लगा है धुंधला सब कुछ, आंख बनो तुम मेरे।

शब्दो की स्पष्टता को रही, भाव समझो तुम मेरे।।

कमर मेरे अब झुकने लगे हैं, लाठी बन जाओ तुम 

थक गये हैं मेरे पैर, आकर मुझे थाम लो तुम.........

हो गए अधर मौन ये जैसे, कौन सुनेगा मुझको

यारों का भी साथ रहा ना, दिन बीते याद कर रब को

स्नेहिल दो शब्द अनमोल हो गये, मुझपर स्नेह बरसाओ तुम

थक गये है मेरे पैर आकर मुझे थाम लो तुम.........।



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