उठेगी उसकी डोली,जिसदिन है होली
उठेगी उसकी डोली,जिसदिन है होली
जुदाई के दिन,अब सहेंगे कैसे..
होके जुदा तुमसे,अब रहेंगे कैसे..
तड़पेंगे पानी बिन,तड़पे मछली जैसे...
मोहब्बत की मूरत को अब क्या इल्ज़ाम दूँ...
बेहया,बेवफ़ा,बेशरम,हरजाई क्या नाम दूँ...
ऐ ख़ुदा,कैसी ये आफ़त आई हैं...
मौसम ने ली अंगड़ाई हैं...
ज़ख्मों के बादल बरस रहें हैं उसदिन से मुझपे,
पता चला हैं जबसे, कि उठेगी उसकी डोली,जिस दिन हैं होली...!
मेरी दुनियाँ उजाड़ के...
अपनी दुनियाँ बसाएगी...
धीरे-धीरे मुझको भी भूल जायेगी...
पर मेरे दिल से वो निकल ही नहीं पाएंगी...
वो लड़की बहुत याद आयेगी...
अब त्यौहार भी फीका-फीका लगेगा उसके बिन...
रातें काटेंगे तारे गिन-गिन...
पर निकलती ही नहीं,दिल में वो ऐसी समाई हैं....
देकखकर ये मोहब्बत,
मौसम ने ली अंगड़ाई हैं,
ज़ख्मों के बादल बरस रहें हैं उसदिन से मुझपे,
पता चल हैं जबसे,उठेगी उसकी डोली,जिस दिन हैं होली...