जीवन
जीवन
अनजानी सी राह में
अनजाना सफर है।
लापता है मंजिल और
बेगाना हमसफर है।।
धुंधली है कागजों पर लिखी हुई गज़लें
शायद आँसुओ की ओस पड़ी होगी।
बरसने का तो कोई मौसम नही है
शायद धरती की तलब बडी होगी।।
सपनों का जहां है
सपनों में ही बिताना होगा।
झूठ के इस आलम में
सच को भी छुपाना होगा।।
तुम तो लगा लेते हो
आपना दिल हर किसी से
हमें तो तुम्हारे बीना
ही जीवन जीना होगा।
औरों का काम तो है
बस देखना
तुम्हें तुम्हारा बोझ
खुद ही उठाना होगा।।
ऐ जो बला आई है अब तो
दूर से ही लोगों से मिलना होगा।

