माँ
माँ
मैया-मैया कहकर ना जाने कब मैं खड़ी हुई,
तेरे ममता के आँचल में ना जाने कब मैं बड़ी हुई।
तूने सिवाय प्यार के न मुझे कभी एक शब्द कहा,
अपने आँचल में छुपाकर हर परेशानी से दूर रखा।
जिंदगी भर तू सहती रही ,
फिर भी ना उफ करा,
मेरे लिए अपनी पूरी जिंदगी को न्योछावर करा।
सब कहते हैं कि माँ भगवान की अद्भुत रचना है ,
पर मैं कहती हूँ वह ईश्वर भी खुद माँ की ही संरचना है।
तुझमें हर देवी है वास करती,
तू वो आग है जिसके क्रोध से काँप जाए यह धरती।
मेरा हे तुझको शाश्वत-दंडवत प्रणाम
हर व्यक्ति की तरफ से तुझे रब से पहले सलाम।
