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Kawaljeet Gill

Abstract

4.5  

Kawaljeet Gill

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जहाँ मैं हूँ

जहाँ मैं हूँ

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जहाँ मैं हूँ मुझे वही रहने दो कोई नया मुकाम हासिल नही करना,

मै जैसी हूँ मुझे वैसी ही रहने दो मुझे खुद को नही बदलना,

तेरी जिंदगी का हिस्सा तो मैं बन जाऊंगी

पर अपनी जिम्मेदारियो से मुँह ना मोड़ूंगी,

निभाने है जो फ़र्ज़ मुझको उनसे मुँह ना मोड़ूंगी,


अब तुझे तय करना है कि क्या तुझे कबूल है मुझे अपनाना,

या फिर तू भी कोई शर्तो से हम को बांधना चाहता है,

शर्तो से जो बंध गयी जिंदगी तो हर पल पड़ेगा पछताना,

तेरा मेरा प्यार ना हो शर्तो का मोहताज बस ये ही चाहत है,


वक्त मेरा तेरे लिए भी कीमती है हम जानते हैं ,

जब भी जी चाहेगा कलम उठा लेंगे हम,

तुम जो ये रखो चाहत की हर पल कलम चलती रहे

तो मुमकिन नही मेरे लिए,

हम तो ठहरे मन मौजी अपनी ही धुन में लिखते हैं ,

कोई हमपर अपना हक जताए अच्छी बात नही,

आज़ाद ही हमको रहने दो और हमारी कलम को ।


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