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sargam Bhatt

Abstract

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sargam Bhatt

Abstract

लिखूंगी तुम पर

लिखूंगी तुम पर

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अब मैं कुछ अनकहा किताब लिखूंगी,

खुद को सवाल तुम को जवाब लिखूंगी।


तुम बसे हो मेरे दिल की हर कोने में,

मैं तुम्हें एक ख़ूबसूरत एहसास लिखूंगी।


अभी वक्त काफी है मेरी जान निकलने में,

मैं तुम्हें जिंदगी की आखिरी प्यास लिखूंगी।


मेरा जनाजा उठाने के लिए तुम्हारा कंधा चाहिए,

जिंदगी से हारकर तुमको एक आस लिखूंगी।


तुम्हारी तरह मेरे दिल में भी जज्बात काफी थे,

अपने जज्बातों से तुम्हारा एक लिबास लिखूंगी।


यकीन रखना तुम "सरगम" की मोहब्बत पर,

जो भी लिखूंगी तुमपर,बेहिसाब लिखूंगी।



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