Dayasagar Dharua

Romance Tragedy Fantasy

4  

Dayasagar Dharua

Romance Tragedy Fantasy

तुम बचा लोगी क्या ?

तुम बचा लोगी क्या ?

2 mins
283


लगता है कल ही वो दौर था

तुम साथ थी मैं साथ था

मेरे कंधे पर तुम्हारा सर

तुम्हारे कंधे पर मेरा हाथ था


और कई बातें थी

कुछ बातें आज की थी

कुछ पुरानी और कुछ आने वाले दिनों की

पर कल तक जिस पल की कल्पना भी

हमने नहीं किया था

आज वो पल सामने है


जिंदगी के हर मोड़ पे तुम हुआ करती थी

मगर आज जब मैं इस पल से गुजर रहा हूँ

तुम साथ नहीं हो

और जो आज तुम नहीं हो

मैं भी इस पल मे होना नहीं चाहता


मुझे मेरे ना होने मे मदद करोगी क्या ?

देखो मैं मर रहा हूँ यहाँ, तुम बचा लोगी क्या ?


लगता है कोई कहानी पढ रहा है

जिस कहानी में मैं कैद हूँ

और कभी तुम भी हुआ करती थी

जिसके कुछ पन्ने तुम्हारे नाम के भी हुआ करते थे

जो आज नहीं रहे


और कुछ पन्ने मेरे नाम के हैं

जो आज बस रह ही गये हैं

जिन पन्नों मे हम एक साथ हुआ करते थे

शायद वो पन्ने कब के गायब हो गये

या शायद गायब कर दिये गये कहानी से


शायद पढ़ने वाले को पसंद न आया

हम दोनों का एक ही पन्ने मे रहना


फिर उसे खलने लगा

हम दोनों का एक कहानी मे रहना

और उसने तुम्हें मुझसे अलग कर दिया

तुम्हें आजाद कर दिया इस कहानी से

तब से मैं तन्हा रह गया हूँ यहाँ

मुझे भी निकलना है यहाँ से

जो आज तुम आजाद हो चुकी हो


पढ़ने वाले से

मेरी आजादी की सिफारिश कर दोगी क्या ?

देखो मैं मर रहा हूँ यहाँ, तुम बचा लोगी क्या ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance