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Dayasagar Dharua

Romance Tragedy Fantasy

4  

Dayasagar Dharua

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तुम बचा लोगी क्या ?

तुम बचा लोगी क्या ?

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लगता है कल ही वो दौर था

तुम साथ थी मैं साथ था

मेरे कंधे पर तुम्हारा सर

तुम्हारे कंधे पर मेरा हाथ था


और कई बातें थी

कुछ बातें आज की थी

कुछ पुरानी और कुछ आने वाले दिनों की

पर कल तक जिस पल की कल्पना भी

हमने नहीं किया था

आज वो पल सामने है


जिंदगी के हर मोड़ पे तुम हुआ करती थी

मगर आज जब मैं इस पल से गुजर रहा हूँ

तुम साथ नहीं हो

और जो आज तुम नहीं हो

मैं भी इस पल मे होना नहीं चाहता


मुझे मेरे ना होने मे मदद करोगी क्या ?

देखो मैं मर रहा हूँ यहाँ, तुम बचा लोगी क्या ?


लगता है कोई कहानी पढ रहा है

जिस कहानी में मैं कैद हूँ

और कभी तुम भी हुआ करती थी

जिसके कुछ पन्ने तुम्हारे नाम के भी हुआ करते थे

जो आज नहीं रहे


और कुछ पन्ने मेरे नाम के हैं

जो आज बस रह ही गये हैं

जिन पन्नों मे हम एक साथ हुआ करते थे

शायद वो पन्ने कब के गायब हो गये

या शायद गायब कर दिये गये कहानी से


शायद पढ़ने वाले को पसंद न आया

हम दोनों का एक ही पन्ने मे रहना


फिर उसे खलने लगा

हम दोनों का एक कहानी मे रहना

और उसने तुम्हें मुझसे अलग कर दिया

तुम्हें आजाद कर दिया इस कहानी से

तब से मैं तन्हा रह गया हूँ यहाँ

मुझे भी निकलना है यहाँ से

जो आज तुम आजाद हो चुकी हो


पढ़ने वाले से

मेरी आजादी की सिफारिश कर दोगी क्या ?

देखो मैं मर रहा हूँ यहाँ, तुम बचा लोगी क्या ?


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