STORYMIRROR

Nitu Mathur

Romance

4  

Nitu Mathur

Romance

हाल ए दिल

हाल ए दिल

1 min
275

कोई सुने या ना सुने पर मैं अब खुल के बोलना चाहती हूं

अपने अन्दर दबे कुछ जज्बातों को बयां करना चाहती हूं


वो वक्त जब हम भी कभी जवां थे,

कुछ लोग हम पे भी यूं फिदा थे


बहुत कुछ महसूस किया, पर हाले दिल कभी ना ज़ाहिर किया

के बस आगे के अंजाम का सोचते रहे..

हाथ जो आगे आया खामोशी से छोड़ दिया,

 

कुछ वक्त ने भी यूं रुसवा किया.. 

बस हर बार समझदारी से सोचने पे मजबूर किया,


वो दोस्तों के संग कह्कशे, वो बुलेट के पीछे बैठने के ख़्वाब

वो टीस सी उठती दिल मैं, दुपट्टे से छुपी वो हंसी की आब,


वो अंदर उबलते से जलजले वो तेज चलती धड़कन

काश मान लेते दिल की बात, दूर करते ये भी उलझन,


बस अफसोस यही, ना कर सके जो मन मैं था

ना जी सके वो लम्हा जो इतना करीब था,


ज़माने बीत गए, अब उनसे कोई वाकफियत भी नहीं है

मगर दिल मैं दबी वो चाह आज भी वहीं है, वहीं है, वहीं है।


               


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance