खूबसूरत आँखें
खूबसूरत आँखें
देखा तुझको तो मानो, कही खो गया
जिस्म से जैसे दिल ये, जुदा हो गया
मोती से खूबसूरत, हैं आखें तेरी
प्यारी प्यारी सी सूरत, हैं जैसे परी
तुझ पे कैसे लिखूँ मैं, कविता कोई
तारीफे क्या करू, लफ्ज़ ही हैं नहीं
टूट जाएगा सारी, हूरो का गुरुर
देख ले इक घड़ी, तेरे चेहरे का नूर
देख ले जो कोई, तेरी प्यारी हसी
भूल जाए वो सारे, गम-ए-ज़िन्दगी
जाने कैसा नशा, उसकी हर बात में,
उससे मिलना मैं चाहूं, हर दिन रात में
देखूँ उसको तो होठ, संग दिल मुस्कुराए
ख्वाबों में आ के वो, मेरी रातें सजाए
प्यारे चेहरे में फिर, तेरी ज़ुल्फे घनी
बादलों में हो जैसे, घटाए घनी
ज़ुल्फे खोली जो तूने, साया कर गई
ज़ुल्फे बँध जो गई, धूप फिर पड़ गई
और आवाज़ हैं, उसकी इतनी प्यारी
जैसे कोयल कोई, बन गई हो नारी।