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Gagandeep Singh Bharara

Romance

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Gagandeep Singh Bharara

Romance

मुख्तसर सी बात

मुख्तसर सी बात

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मुख्तसर सी बात थी, तेरा वो मुस्कुराना,

और मेरा खुद पे इख्तेयार न रख पाना,


यूहीं, मेरी बज़्म में तेरा खिलखिलाना,

मेरी कश्ती को जैसे किनारा मिल जाना,


बागों के गलियारे में जैसे तेरा चेहचाहना,

मेरे सफ़र में तेरा रेहगुज़र बन के साथ चल देना,


बारिश की बूंदों में तेरा यूं सिमटना,

धूप में जैसे छांव से हरी घास का ढक जाना,


मुख्तसर सी बात थी, तेरा नजरें झुकाना,

धड़कते दिल का रुकना और तेरा बन जाना।।


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