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Gagandeep Singh Bharara

Others

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Gagandeep Singh Bharara

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रहमत

रहमत

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है शुक्र उसका, कि मिली ज़िंदगी तुझे,

क्या हुआ जो कुछ ग़म भी मिले तुझे,


हर मोड़ पर सहारा भी तो दिया उसने, 

मुश्किलों में रास्ता भी तो दिखाया उसने,


है रहमत, तो हो रही है गुज़र, तुम्हारी,

वरना, सस्ती बहुत है ज़िंदगी, हमारी,


जिन ख़्वाबों को बुन, तू निकल चला है,

बिन उसके, पूरे होने वो मुमकिन कहाँ हैं,


हर अल्फाज़, हर कर्म को रखना पाक तुम,

सच के रास्ते से कहीं भटक ना जाना तुम,


दर्द से छुटकारा मिल ना पाएगा तुझे,

कर दुआ कि मिले उसकी रहमत तुझे,


है शुक्र उसका, कि मिली ज़िंदगी तुझे,

क्या हुआ जो कुछ ग़म भी मिले तुझे।


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