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Gagandeep Singh Bharara

Romance

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Gagandeep Singh Bharara

Romance

थामा जो तूने

थामा जो तूने

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वो तो तन्हा…अकेला…चल रहा था मैं,

तूने थामा तो, जी उठा था मैं,


गुल ए गुलज़ार, किया तूने तो,

बहारों में जी उठा था मैं,


तूने थामा, तो जी उठा..था मैं,


वो सुखन की बात कहाँ थी….

वो सुखन की कोई बात कहाँ थी,

तूने देखा तो ठहरा ये मन,


मेरे हरसू (हर तरफ) में कोई जगह तो थी,

तूने रखा जो कदम, तो खुशहाली हुई,


तूने थामा, तो जी उठा..था मैं,


वो तो तन्हा…अकेला…चल रहा था मैं,

तूने थामा तो, जी उठा था मैं,


दूर तक देखता था खालीपन….

तेरी आमद से जला उठा ये मन,


छोड़ मत देना, बस… दुआ ये है,

बीच मझधार में.. बहुत गहराई है,


डूब जाऊँ ना कहीं, डरता हूँ,

तूने थामा जो मुझे, तो जी उठा..हूँ मैं,


वो तो तन्हा…अकेला…चल रहा था मैं,

तूने थामा तो, जी उठा हूँ मैं…



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