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अर्चना तिवारी

Abstract Romance Others

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अर्चना तिवारी

Abstract Romance Others

तुम दीया मैं बाती

तुम दीया मैं बाती

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जीवन की हर उलझन सुलझाना 

जीवन की राहों पर संग कदम बढ़ाना 

हर दर्द तकलीफ़ में मरहम बन जाना 

थक जाऊँ तो बढ़कर साथी हाथ बढ़ाना।


जीवन की दौड़ में हर कठिन दौर में 

सुख के प्रभात में हर मधुरिम बेला में 

तुम हरदम थामें बाहें मेरी रखना

अपनी प्रीत रीत से मेरा मान बढ़ाना।


मेरी कहानी का तुम आईना 

मेरी कविता का हो तुम गहना

मेरे मस्तक की लालिमा तुमसे  

है मेरे माथे की उजियाली तुमसे।


मेरे पतंग रूपी जीवन की डोर तुम

मेरे तप्त हृदय की तुम बरखा 

बिन तेरे जीवन की आस नहीं साथी 

प्रियतम मेरे तुम दीया मैं हूँ बाती ।



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