एक ही जिंदगानी
एक ही जिंदगानी
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जी लो तुम इसे जैसे चाहो,
कि एक ही है ये जिंदगानी,
खुशियों से भरा संसार सजा लो,
चाहे मातम हर पल का मना लो,
बहती नदियों सी यह बहती रहती,
रुकती नहीं बस समा ये जाती,
कभी मिट्टी में इसे मिल है जाना,
या अग्नि संग भस्म हो जाना,
बस में तुम्हारे बस खुश है रहना,
दुख से भरा तो संसार है सारा,
जी लो तुम इसे जैसे चाहो,
आख़िर एक ही तो होती है जिंदगानी।
