राज़
राज़
हिज्र में अपने, रखें हैं राज़ बहुत,
देखना कहीं, आँखों से बयां ना हो जायें,
तेरी ज़ुल्फ़ों से खेले हैं हम बहुत,
देखना कहीं, फिसल कर ना गिर जायें,
लिखे थे जो मोहब्बत के खत बहुत,
देखना कहीं, याद कर उन्हें आँसू ना बह जायें,
वो कश्ती पर बैठे, पकड़े थे जो हाथ बहुत,
देखना कहीं, हाथ वो किनारे पर नज़र ना आ जायें,
हिज्र में अपने, रखें हैं राज़ बहुत,
देखना कहीं, आँखों से बयां ना हो जायें।