मेरी आंखों से कभी
मेरी आंखों से कभी
मेरी आंखों से कभी
खुद का चेहरा देखना..
झलके कितनी इबादत
उन हर्फो को तुम पढ़ना....
मेरी आंखों...........!!
खवाब जितने जिये मिलकर
इरादे लिए साथ चले मिलकर
उन ख्वाहिशों से कभी तुम बिछड़ना....
मेरी आंखों.............!!
दर्द का आलम भी सुकूंन भरा
रात तन्हाई औ ये अश्क ठहरा
किसी के रुठने से कभी तुम बिखरना..
मेरी आंखों............!!
वक्त गुजरे जो वो कब आता है
कल तो कल बन निकल जाता है
धड़कनों को सांसो से दूर कभी तुम करना...
मेरी आंखों..........!!
शाम हसीं तेरे नाम की महफ़िल जवां
सुर औ साज़ से बहके वो संदली हवा
इकरार से इंकार कभी इंतजार तुम समझना..
मेरी आंखों.........!!
हर सू हर पल मिले खुदा सा वफ़ा
इश़्क रग-रग मेंं रमे दिल की ख़ता
जिस्म जिंदा और कभी रुह खाक़ करना....
मेरी आंखों.......!!