ऐसो वर ढूंढयो बाबा
ऐसो वर ढूंढयो बाबा
ऐसो वर ढूंढयो बाबा लाज रखे जो मोरी
अश्रु न देख सके नैनन में ख़ुशी से भर दे झोरी..
गल्ला करने को मुझसे जो नये बहाने ढूँढे
मीठी-मीठी यादों की ख़ातिर कई फ़साने ढूँढे
हो तकलीफ जिसे बाबा चुप्पी से मोरी
अक्सर गुस्सा-नर्मी के मनहर तराने ढूँढे
चेहरे से समझे मनोभाव अंखियों से पीर भरी
ऐसो वर ढूंढयो बाबा लाज रखे जो मोरी..
संग संग साथ चले जो हर पल ही साथ निभाये
हरेक मुश्किल में मोरी जो ख़ुद को ढाल बनाये
सर्वोपरि हो मन-जुड़ाव मोरी माने-समझे बात
अवसर पाकर घड़ी घड़ी मुझसे वो लाड जताये
मोरे मान-सम्मान लिए लड़े-भिड़े जो सबसे ही
ओ बाबा! थारी तरह ज़िद कर दे जो पूरी
ऐसो वर ढूंढयो बाबा लाज रखे जो मोरी..
जो अच्छे से समझे और प्यार से समझाये भी
परवाह करे अम्मा जैसे रूठे तो हमें मनाये भी
भाई के जैसे ही छेड़ सताये जो हरपल हमको
प्यार और अपनेपन से दीदी सा अपनाये भी
हर भाव बन्ध का मिश्रण वो हो मिश्री सा मीठा
स्वप्रेम से करे सतरंगी चित-चादर वो कोरी
ऐसो वर ढूंढयो बाबा लाज रखे जो मोरी..

