हमसफ़र
हमसफ़र
ज़िंदगी का ये सफ़र जिस विन्दु से चला वहां
दो आत्माओं के अहद के जो निशाँ है तेरे मेरे है
सर्दी गर्मी और कुछ नहीं है
बस ये जज़बात तेरे मेरे है
तेरे मेरे सफ़र की ही कहानियाँ फैली है कोनों मकाँ में
चमन में गीत गाते है भँवरे, वो तेरे मेरे है
जिन्हें सुन के फूल महकते है, वो राग तेरे मेरे है
प्रेम की बिसात पर एक ही कहानी है
कभी हीर राँझा बन के
कभी सोनी महिवाल बन के
कभी लैला क़ैस बन के
आते जाते रहे हैं
मेरे हमसफ़र
प्रेम का ये सफर सदियों पुराना है
तेरे मेरे हाथों की लकीरों में
एक दूसरे के नामों के सिवा क्या है
तेरे मेरे दिलो में एक दूसरे के ख़्याल
एक दूसरे की सूरत के सिवा क्या है
प्रेम के कैनवास पर बनी मुकम्मल तस्वीर नहीं
तो और क्या है
प्रेम का ये बहरूपिया
रूप बदलता रहेगा
ज़माना चलता रहेगा और ये हर युग में अपने होने के निशाँ
रस्मों, रीत, रिवाजों, धर्मों से ऊपर बनाता रहेगा आशियाँ
ये हादसा नहीं है नैति है
ये सफर
मेरे हमसफर आज का नहीं है
ये ज़मी ये आसमां ये सागर की कोई उम्र होगी
चाँद सूरज ये अनंत आकाश में फैले सितारों
से पहले जो दो लफ्ज रोशन थे
वो प्रेम के थे
हमारे मिलने बिछड़ने का सफ़र
रात होने और दिन निकलने जैसा है
ये आरम्भ ये अंत कुछ भी नहीं
ये सफ़र मेरी जाँ आख़री नहीं
क्या सोचना इस समाज का
मेरे हमसफ़र मेरे पास आ मेरे साथ चल
ये सफर फिर एक शुरुआत है ये आखरी नहीं।

