तुम ख्वाब में रहती हो
तुम ख्वाब में रहती हो
तुम कभी फूलों सी तो कभी पंखुड़ी गुलाब की लगती हो,
आईना भी तुम्हें देख शर्माता जब तुम सजती संवरती हो,
तुम्हें देखने भर से दिल में मेरे एक हलचल -सी होती है,
कदमों में तेरे फूलों को बिछा दूँ जिस राह तुम चलती हो,
तुम्हारे आंखों का काजल लगता जैसे हमसे कुछ कहता,
कभी अप्सरा तो कभी -कभी तुम क़यामत सी लगती हो,
रात और दिन तुम्हारे ही ख्यालों में बस डूबा- सा रहता हूँ,
तुम कहीं भी हो पर हमेशा से मेरे हर ख्वाबों में रहती हो,
तुम्हारी याद में जाने कितने गजलों से पन्ने भर दिए मैंने,
उस हर ग़ज़ल में तुम मुझे मेरी नई तकदीर सी लगती हो,
जब -जब तुम्हें देखा हमने , हर उस तप्त दोपहरी में भी,
रिमझिम बरसती हुई बारिश की हल्की फुहार लगती हो,
स्नेह पास का अनुठा बंधन अपने में प्यार समेटा हुआ,
जब देखा हर- पल एक नया एहसास सी तुम लगती हो,
झील सी उन आंखों में अब उतर जाने का मन करता है,
सूर्य के प्रकाश का बहता हुआ स्वरूप सी तुम लगती हो,
मदभरे रसाल नयनों को देखकर दिल हमारा पिघलता है,
कोई कैसे संभाले दिल जब देखा तुम मदमस्त लगती हो,
तुमसे मिलना हर- बार एक नया नया एहसास जगाता है,
हर बार मेरे चेहरे पर तुम, खुशी की लहर सी लगती हो
जब भी देखी तुम्हारी आंखें एक प्यास नजर आती मुझे,
डूब जाए प्यासी आंखों में इस कदर दिल पर उतरती हो,
अदाएँ तुम्हारी बड़ी कातिल है,जिंदगी के आईने में तुम,
सुरीले गीतों की खुशनुमा उस बहार- सी तुम लगती हो II