फिसल गया मीठी-मीठी बातों में !
फिसल गया मीठी-मीठी बातों में !
तुम्हारी मीठी-मीठी बातों में,
मैं फिसल गया
गिरा एक बार फिर संभल गया
अब ये दिल, किसी से लगता नहीं
धोखा ही पाया बेज़ुबान,बेचारा
ज़ब भी जिधऱ गया
दिल तोड़ना हसीनाओं की फितरत हैं
नहीं करिश्मा औऱ नहीं कोई कुदरत हैं
ठोकरें ही खाई हर दफा,
बेचारा किधऱ-किधर गया
तुम्हारी मीठी-मीठी बातों में,
मैं फिसल गया !

