प्यार की बदली बहेगी
प्यार की बदली बहेगी
मेरे गीतों से जमीं पर
प्यार की बदली बहेगी।
हो चाहे मौसम बेरंग
प्रेम की ज्योति जलेगी।
हर कली कहती जमीं से
गीत प्रणय का छोड़ दो।
कंटकों के साथ रहकर
आस प्रेम की तोड़ दो।
पर ना बदले गीत मेरे
ना बदलेगी ये जमीं ।
मेरे गीतों से जमीं पर
प्यार की बदली बहेगी।
कण-कण में भरा प्रेम है
आँख खोल देखो जरा।
रात अमावस या पूनम की
सागर का है ज्वर बड़ा।
हो चाहे द्वेष की ज्वाला
प्रेम नहीं रूकने वाला।
मेरे गीतों से जमीं पर
प्यार की बदली बहेगी।
प्रेम शाश्वत सशक्त मंत्र है
सर्वोपरि निर्विघ्न तंत्र है।
भावों की गठरी में बंद
भाषा है अनुपम अनंत।
आज वृक्ष जैसा रोपोगे
कल उसको वैसा कटोगे
मेरे गीतों से जमीं पर
प्यार की बदली बहेगी।