नवगीत निर्मित होगा
नवगीत निर्मित होगा
मन से मन का तार जुड़ेगा
नवगीत निर्मित होगा।
भूले भटके राही को
खुशियों का संसार मिलेगा।
करनी अपनी देख अज्ञानी
झांक ले दर्पण में प्राणी।
हर दर्पण तेरा दर्पण है
हर चितवन तेरी चितवन।
झूठे तन का अहम् त्याग कर
मन मिट्टी का महल बनेगा।
भूले भटके राही को
खुशियों का संसार मिलेगा।
मन से मन का तार जुड़ेगा
नवगीत निर्मित होगा।
बापू को मन में विचारों
सत्य अहिंसा का पथ धारो।
डोर पकड़ संकल्पों की
संस्कार को मन उतारो।
अवगुणों को त्याग कर
जीवन का सर्वस्व मिलेगा।
भूले भटके राही को
खुशियों का संसार मिलेगा।
मन से मन का तार जुड़ेगा
नवगीत निर्मित होगा।
बीत गई सो बात गई
आगे की सुध लेलो तुम।
भूलकर अपने पराये को
जन-जन से नाता जोड़ों तुम।
थाम कर प्रेम की डोर
स्वप्न सा समाज बनेगा।
भूले भटके राही को
खुशियों का संसार मिलेगा।
मन से मन का तार जुड़ेगा
नवगीत निर्मित होगा।