अल्फाज और शब्द
अल्फाज और शब्द
अल्फ़ाज़ तुम्हारे जो कहते है वहीं शब्द मेरे कहते है
फिर तू ही बता की हम अलग कैसे?
फूल तुम्हारे बागीचे में भी खिलते है और मेरे भी
फिर तू ही बता की हम अलग कैसे?
इबादत जो तेरी मुरादे पूरी करती है और पूजा मेरी
फिर तू ही बता की हम अलग कैसे?
हाथ की लकीरें तेरा भविष्य बताती है औऱ मेरा भी
फिर तू ही बता की हम अलग कैसे?
दुख की घड़ी में आँसू तेरे भी निकलते है और मेरे भी
फिर तू ही बता की हम अलग कैसे?
स्याह रात में तेरा भी चाँद चमकता है और मेरा भी
फिर तू ही बता की हम अलग कैसे?
तन्हाई में आसमाँ के तारे तू भी गिनता है और मैं भी
फिर तू ही बता की हम अलग कैसे?