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Kunda Shamkuwar

Inspirational

4.5  

Kunda Shamkuwar

Inspirational

नदी की धार सी…

नदी की धार सी…

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कभी नदी की धार सी… 

तो कभी समंदर की मानिंद...

कुछ आसमाँ सी… 

कुछ पानी की मानिंद… 

कभी हवा सी खिलखिलातीं…

कभी सिली हवा सी लरजतीं…

कभी कश्मकश से भरी रहतीं…

कभी क़िस्सों से भरी रहती… 

अपनों के सपनों को सहेजती…

रिश्तों के टर्म्स कंडीशन को मैनेज करती… 

नमक मिर्च स्वादानुसार के हिसाब से घर को मैनेज करती…

हल्दी और मसालों से उदासी में रंग भरती…

ये फ़क़त बातें नहीं…

ये औरतें है… 

कुछ मोगरें सी…

कुछ गुलमोहर सी… 

कुछ अमलतास सी… 

कुछ बोगनवेलियाँ सी…

कुछ पारिजात सी… 

कुछ महकते गुलाब सी…

औरतों की बातें कौन जाने?

औरतों की बातें औरतें ही जाने…


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