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Archana kochar Sugandha

Inspirational

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Archana kochar Sugandha

Inspirational

मां की महिमा

मां की महिमा

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माँ दीए की बाती की भाँति

खुद जल जाती

पर बच्चों पर आँच न आने देती।

दिया अधूरा बिन बाती

बच्चे अधूरे बिन माती।


माँ तेरी सांसों की डोर से ज़िन्दगी जुड़ी

तेरे मार्गदर्शन में अमरबेल सी बढ़ी

बच्चों के लिए तू डट कर खड़ी

हर तूफान से लड़ी।


बच्चे हुए बीमार

तीमारदारी में माँ जगे सारी रात

माथे पर शिकन भी न धरे

ममता की छाँव करे।


खुद सर्दी में ठिठुर जाती

पर बच्चों पर अपना आँचल ओढ़ाती।

बच्चों को खिलाए मुँह का निवाला

एहसानों का नहीं देती हवाला।


माँ अपना तन, मन, धन त्यागे

बच्चों की जिम्मेवारियों से दूर न भागे।

तेरे दिशा-निर्देश से ज़िन्दगी की जोत जले

हर पथ पर आगे बढ़ें।


एक कहानी जिसने माँ की महिमा बखानी

बेटा था महाज्ञानी

चला माँ का अस्थि कलश बहाने

गंगा जी नहाने।


देख गड्डे को लगा, अस्थि कलश बहाने

सोचे, माँ कैसे जाने।

तभी बेटे ने ठोकर खाई

माँ की आवाज़ आई

बेटा कहीं चोट तो नहीं आई।


बेटा लगा सकपकाने

माँ सांसों की डोरी टूटी

पर तेरी परछाई मुझसे न छूटी।


माँ दिए की बाती की भाँति

खुद जल जाती

पर बच्चों पर आँच न आने देती।


लिख-लिख कर पृष्ठ दर पृष्ठ सजाऊँं

फिर भी तेरी महिमा लिख न पाऊँं।

माँ सौ जन्म तुझ पर कर दूं कुर्बान

फिर भी उतार न पाऊँं तेरा एहसान।


माँ दिए की बाती की भाँति

खुद जल जाती

पर बच्चों पर आँच न आने देती।     


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