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Kunda Shamkuwar

Inspirational

4.5  

Kunda Shamkuwar

Inspirational

तुम नही...

तुम नही...

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33


तुम यह नही करोगी...

तुम यह नही कहोगी.…

तुम यह नही देखोगी...

तुम यह नही पहनोगी...

तुम यहाँ नही जाओगी...

तुम ठहाके नही लगाओगी...

तुम देर तक बाहर नही रहोगी.…

कई सारी नही करनेवाली और भी बातें...

तुम यह नही कर सकती...

तुम्हारे बस की बात नही...

'यह तुम नही' वाला जुमला क्या सदियों से ही यहाँ मौजूद है? 

शायद 'हाँ' से भी पहले

औरतों के लिए इस्तेमाल होनेवाले ये आम जुमले रहे हैं...

इस 'तुम नही' को सुनते सुनते हम औरतें उन सारे हाँ को ही जैसे भूल गयी थी..


लेकिन इक्कीसवी सदी की औरतें अब बदल गयी है...

हाँ, वह अब जान चुकी है अपनी हद और ताकत भी...

अब बिना किसी इफ़ अँड बट से वह चल पड़ी है अपनी मंज़िल की ओर... 

क्योंकि वह सारी बातों को अब हाँ में ही बदलना चाहती है...

तुम चाँद को छू सकती हो...

हाँ, तुम इन रंगबिरंगी तितलियों की मानिंद बेखौफ़ कही भी आ जा सकती हो...

जल, वायु, आकाश और जमीं..हर एक मे तुम अपनी मौजूदगी जता सकती हो...

और अब घर-ऑफीस हर ओर तुम अपना परचम लहरा सकती हो...



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