फ्यूज़न
फ्यूज़न
मेरा कुछ कविताएँ लिखने का मन है...
सोच रही हुँ है कि इस बार कविताएँ कुछ कहानियों पर लिख दूँ...
कविताएँ लिखने के लिए कुछ किस्से भी है मेरे पास ...
लेकिन किस्से और कहानियाँ तो बड़े होते है...
फिर क्या कविताएँ बड़ी नही होगी? और कविताएँ क्यों नही बड़ी हो सकती?
मेरे पास कहानियों का भंडार और किस्सों का अंबार भी है....
क्यों न उस कहानी पर कविता लिख दूँ जहाँ प्यार में लड़की घर से भाग गयी थी?
या फिर उस किस्से पर जहाँ लड़के ने प्यार में दुनिया ही छोड़ दी थी?
लेकिन यह एक आइडियल प्रेम वाली कविता नही होगी?
क्या आजकल आइडियल प्रेम होता है?
आजकल के प्रैक्टिकल युग मे हमने ब्रेक अप होने पर पार्टी होते हुए देखा है...
क्योंकि प्रेमी की बेवफ़ाई के बाद दुनिया ख़त्म तो नही हो जाती न?
तो फिर मैं लिख देती हुँ कुछ कविताएँ लैला-मजनूं, शीरी-फ़रहाद और रोमियो जूलिएट पर ...
और कुछ कविताएँ उन जोड़ों पर भी जो ब्रेक अप होने पर बिना रुके जिंदगी में आगे बढ़ जाते है...
आजकल के दो मिनट नूडल्स वाले फ़ास्ट ज़माने के पाठकों को ये आइडियल प्रेम वाली कविताएँ क्या पसंद आयेगी?
हो सकता है की लिटरेचर और हिस्ट्री पसंद करनेवाले पाठकों को अच्छी लग जाये..
आजकल के फ्यूज़न वाले ज़माने में ज़रूर यह किस्से कहानियों वाली कविताएँ पाठकों को पसंद आएगी...
क्योंकि प्रेम ही सत्य है...प्रेम ही शिव है... और प्रेम ही सुंदर है...