कैलेंडर
कैलेंडर


इस दुनिया में हर तरह के लूनर, सोलर, चाइनीज, ग्रेगेरियन और हिन्दू पंचांग जैसे कई कैलेंडर्स है...
ये कैलेंडर और पंचांग साल के तीन सौ पैसठ दिन का पूरा हिसाब रखते है...
त्योहारों के साथ तिथियों की जानकारी देना कोई मामूली काम तो नही है....
सारी मुलाकातों का हिसाब और प्लान भी कैलेंडर रखता है....
लेकिन कैलेंडर में औरतों के लिए छुट्टी का कोई दिन मुकर्रर ही नही किया है…
कुछ लोगों का ख़याल था कि कैलेंडर भुल गया होगा...
दुनिया भर के लोगों के दिन प्लान करने वाला कैलेंडर कैसे भूल सकता है भला?
सदियों से और वह भी विदआउट किसी गिल्ट के?
वर्क फ्रॉम होम वाले वक़्त में यह और बड़ी ग़लती लगती है...
घर और ऑफिस में चक्करघिन्नी की तरह फ़िरती औरतों के लिए कैलेंडर अब क्या करे?
इक्कीसवी सदी में औरतों की चाह है कि कैलेंडर अब अपनी ग़लती ठीक करे...
कैलेंडर में अब औरतों के लिए कौनसा दिन छुट्टी का मुकर्रर करे?
भई, संडे इज़ नॉट पॉसिबल...सब की फ़रमाइशें पूरी करने का दिन होता है..
सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र या शनिवार? मंडे टु सैटरडे इज़ वैरी डिफिकल्ट...
इन दिनों में नो छुट्टी…सबको लंच पैक कर ऑफिस में जाना होता है...नॉट पॉसिबल एट ऑल...
कैलेंडर हार मान ले या फ़िर इक्कीसवी सदी की औरतों को अपना कोई नया कैलेंडर बनाएँ?
ऐसा कैलेंडर जिसमे औरतों के लिए उनकी मनपसंद हॉबी के कुछ दिन होंगे...
कुछ दिन सुकून और हक़ के ख़्वाब पूरे करने के होंगे...
वह दिन कभी तो आएगा जब औरतें अपनी जिंदगी को खुशियों से महका सकेगी...