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Kunda Shamkuwar

Others Abstract

4.5  

Kunda Shamkuwar

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जॉइंट एकाउंट

जॉइंट एकाउंट

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वह था...
मैं थी...
हम थे...
दोनो थे...
साथ थे...
प्यार में थे...
हम साथ साथ थे...

हम दोनों एक है...
फिर हमारे बैंक एकाउंट्स अलग क्यो?
वी मस्ट हॅव जॉइंट एकाउंट...
प्यार में क्या तेरा मेरा?
बात तो वह सही कहता था...
ग़लती की कोई गुंजाइश ही नही थी...

जॉइंट एकाउंट ओपन हो गया...
बिल्कुल एक दूजे के लिए वाली फीलिंग..
डेबिट कार्ड...
क्रेडिट कार्ड....
सेविंग्स का हिसाब किताब...
इनकम टैक्स की चिंता...
रिटर्न फ़ाइल की झंझट...
हाऊ केयरिंग ही इज...

कभी कभी प्यार में वह कहता था आवर लाइफ इज सो ब्यूटीफुल...
यू आर मैनेजिंग ऑफीस अँड होम वेरी वेल...
एवरीथिंग् इज परफेक्ट...
कुछ दिनों से घर जाते ही वह पूछने लगा,
आज चार कुर्ती फिर लिया तुमने?
पहले के ही तुम्हारे पास सैंडल के जोड़ है फिर और क्यों?

उसके रियेक्ट करने पर अरे, आय वॉज़ जोकिंग...
तुम्हे तो मज़ाक भी नही समझता है...
लेकिन आगे हर खर्चे पर उसकी निगाहें वह जान लेती थी..
बल्कि उसके घुमा फिराकर कहने पर वह इरिटेट होती थी...
आय पर्चेस थिंग्स फ्रॉम माय सैलरी देन ही शुड नॉट आस्क क्वेश्चन..

बातों ही बातों में उसने पति से सवाल किया...
डु यू लव मी?
येस ऑफ कोर्स...
व्हाई आर यू वरी फ़ॉर माय एवरी पर्चेस व्हेन आय एम पेइंग इट फ्रॉम माय सैलरी?
नो, नो डार्लिंग..यू मिसअंडरस्टूड मी.. आय एम टेकिंग केअर फ़ॉर आवर सेविंग्स ओनली...
नो, यू आर नॉट...
यू आर ट्राइंग टू कंट्रोल मी...

लेकिन यह इक्कीसवी सदी की औरत है जो अपने सेविंग्स और इनकम का ध्यान रख सकती है...
तो फिर आज से बैंक एकाउंट एकदम अलग..
बात ख़त्म करके किचन में काम करते समय इक्कीसवीं सदी की वह औरत अब सोच रही थी...

मैं थी...
वह था...
हम थे...
साथ थे...
घर था...
हम साथ थे...






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