कर्मठों के हाथ हैं जादुई चिराग
कर्मठों के हाथ हैं जादुई चिराग
आलसी लोग जिसको रहते हैं खोजते,
कर्मठ लोगों के हाथ हैं जादुई चिराग।
कुछ न होता चमत्कार-किस्मत के सहारे ,
अति की रगड़ से ही चकमक देता आग।
अकर्मण्यता और आलस को भगाकर,
हम सब ही अब तो जाएं निश्चित जाग।
आलसी लोग जिसको रहते हैं खोजते,
कर्मठ लोगों के हाथ हैं जादुई चिराग।
लाखों योजनाएं तो हम रहे बनाते पर,
सफलता कार्य करने पर मिल पाएगी।
सह रवि रश्मि का आतप ही कली कोई,
विकसित होकर ही पूर्ण पुष्प बन पाएगी।
कठोर थपेड़े मारुत के संग झेलनी होगी,
बर्षा -पाला और दिनकर की बरसती आग।
आलसी लोग जिसको रहते हैं खोजते,
कर्मठ लोगों के हाथ हैं जादुई चिराग।
राम के सहारे रहते बैठे रहते हैं निठल्ले,
बहाने और बहुत से ही प्रसंग सुनाते हैं।
शिखर पर पहुंचे जन को सिर्फ किस्मती,
या फिर बेईमान साबित में जुट जाते हैं।
ये ईमानदारी का दण्ड रहे हैं भोग हम,
लगता फूट गये हैं हमारे अपने ही भाग।
आलसी लोग जिसको रहते हैं खोजते,
कर्मठ लोगों के हाथ हैं जादुई चिराग।
विशिष्ट प्रयोजन से प्रभु ने भेजा सबको,
इसे याद तो हरदम हम सबको रखना है।
रुकना -मौत ज़िन्दगी -चलना याद रहे,
अवलोकन केवल उत्कृष्ट का करना है।
निर्बलों को सदा देते रह के सहारा, उनमें
जला देनी है हमको कर्मठ बनने की आग।
आलसी लोग जिसको रहते हैं खोजते,
कर्मठ लोगों के हाथ हैं जादुई चिराग।