अस्पष्टता
अस्पष्टता
लाख कोशिशों
के बाद भी
नहीं झाड़ पाते
गर्द शिकायतों की ।
धूमिल सा आईना
स्पष्ट नहीं कर पाता
चेहरा ।
शायद
उचित नहीं है
कोशिश
जिंदगी के आइने में
जमी धूल मिटाने की।
कि
हटी जो गर्द
शिकायतो की
नजर आने
लगेगी
दरारें अहं की ।
स्पष्ट कुछ न
होगा ,
तब भी हाथ लगेगी
अस्पष्टता !
