उमंगों का अंगार
उमंगों का अंगार
जरूरी है ठिठुरते वक़्त में, दिल के किसी कोने में,
दहकाए रखना लगातार उमंगों का अंगार...।
कोहरे के खत्म होने के लंबे इंतेज़ार में,
ठंड की जकड़न में ठिठुरते कंपकपाते हुए,
सूरज की गैरमौजूदगी में, अक्सर धुंधला जाता है,
जिंदगी का असल मकसद, खुद की खुशी...।
समाज की रूढ़ियों में जलकर, जिम्मेदारियों में तपकर,
राख होने से बचने की कोशिश में...
ज़िन्दगी की तमाम जद्दोज़हद में मिली नाकामयाबी की,
झुलसन से बचने के लिए... अच्छे दिन की चाह करके,
बैठे रहने से बेहतर है,
कुछ कर गुज़रने के जज़्बे की आग रहे बरकरार...।
और दिल के छोटे से कोने में, हमेशा सुलगता ही रहे,
उमंगों का अंगार...।