आस्था का दीप
आस्था का दीप
हर मुश्किल में खोजना होगा राहत,
सुख दुःख तो निश्चित है फिर क्यों
करे कर्मों से बग़ावत ,छल ,ईर्ष्या से
क्यों ठगना स्वयं को ,समभाव से लेखा
जीवन का समझना है ,आस्था का दीप
जलायें रखना है ………..
राह कहाँ जीवन की आसां होती है ,
कब यूँ हर दफ़ा क़िस्मत मेहरबान
होती है ,करते हुए परिश्रम उम्मीद
सफलता की पिरोयें रखना ,ग़म में
ना टूटकर बिखरना,आस्था का दीपक
जलाए रखना …………….
ज़िन्दा है तब तक हम,जब तक दिलों
में हौंसला है उफान है ,संग्राम ही तो
इस जीवन डगर की शान है ,हर
तकलीफ़ घिस घिस कर निखारे हमें
हर घिस कर बढ़ने वाले पर ख़ुदा भी
होता मेहरबान है ,कष्टों में ना मानना
हार, ना तुम क़भी थकना , आस्था
का दीपक जलाए रखना ………………
