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Sushma Parakh

Inspirational

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Sushma Parakh

Inspirational

आज़ादी अमृत महोत्सव

आज़ादी अमृत महोत्सव

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आज़ादी का अमृत महोत्सव मिलकर आज मनाते हैं 

त्याग,समर्पण,बलिदान का,मिलकर यश गाते हैं ,

शौर्य पराक्रमी उन वीरों को..2 झुक झुक शीश नमाते हैं ,

आज़ादी का अमृत महोत्सव मिलकर आज मनाते हैं।


ब्रिटिश की ग़ुलामी में ,दो सौ बरस भी बितायें थे 

आज़ादी की चाह में जाने ,कितने लाल गवायें थे ,

नत मस्तक हो उन वीरों को..2 झुक झुक शीश नमाते हैं ,

आज़ादी का अमृत महोत्सव मिलकर आज मनाते हैं।


काट दिये थे पंख हुनर के ,ब्रिटिश की सरकारों ने ,

हँसते हँसते प्राण गँवाये ,साहसी वीर जवानों ने ,

आज़ादी की चाह न छोड़ी ,देश भक्त परवानों ने ,

अमर हो गये उन वीरों को ..2 श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं ,

आज़ादी का अमृत महोत्सव मिलकर आज मनाते हैं।


भारत हुआ आज़ाद ,पड़े थे खाने के भी लाले,

पाँच करोड़ टन था खाद्यन और पैंतीश करोड़ खाने वाले ,

शास्त्री जी घबरायें और आव्हान लगाया….२

पेट पे बाँधो रस्सी और खाओ सब्ज़ी ज्यादा ,

हर हफ़्ते एक उपवास से ..२सब देश का मान बढ़ाते ,

आज़ादी का अमृत महोत्सव मिलकर आज मनाते हैं।


बदले दिन हुआ परिवर्तन ,भारत बन गया निर्यातक ,

चाँद पर लहराया तिरंगा ,सैन्य संगठन बढ़ाया ,

खाद्धान उत्पादन में भारत ..२ अब दूसरे नंबर आते,

आज़ादी का अमृत महोत्सव मिलकर आज मनाते हैं।


विश्व कप की ट्रॉफ़ी पर ,भारत ने किया है राज ,

ओलंपिक में पदक हैं पाये ,हुनर को मिला आकाश ,

अंतरिक्ष पर भी पहुँची बहने,तोड़ के चार दिवारी,

देख देख उपलब्धि अपनी ,हम मन ही मन हर्षाते,

आज़ादी का अमृत महोत्सव मिलकर आज मनाते हैं।


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