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Sushma Parakh

Tragedy Others

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Sushma Parakh

Tragedy Others

सितम

सितम

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ग़म ग़ैरों के सितम का हुआ नहीं ज़रा भी,

अपनों का बेपर्दा होना, अंदर तक तोड़ गया,

औरों का  तू  इतना हो  गया,

की रिश्ता मेरा गहरा तोड़ गया……..


दूर का रिश्ता भी बहुत अज़ीज़ हो गया,

आज किसी और के तू क़रीब हो गया

किसी के इतना ऽऽऽऽ पास हो गया,

की मुझसे दूर बहुत दूर हो गया ……..



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