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Sushma Parakh

Others

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Sushma Parakh

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सहज सरल सम रह पाओगे क्या …

सहज सरल सम रह पाओगे क्या …

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दिखावा तो देखकर कर लोगे 

खोखले होकर भी अहं से ख़ुद को भर लोगे

जो हो सच में वैसा ही बन पाओगे क्या 

सहज सरल सम रह पाओगे क्या ?


होड़ मची है बनावटीपन की 

क्या दुर्दशा हो गयीं जीवन की 

आंकने लगे लोगो को लिबास से 

सादगी रह गयी ठगी की ठगी 

क्या ये खोखलापन ही हैं ज़िंदगी

जो हो सच में वैसा ही बन पाओगे क्या 

सहज सरल सम रह पाओगे क्या ?


नारी घर का स्तंभ नींव घर की 

दिखावे में देखो आज कितना बहकी 

आधार समाज का नारी पे टीका हैं 

आधुनिकता ने देखो कैसे आधार को निगला हैं 

रीत रिवाज नियम सब हो रहे विलुप्त हैं 

क्योंकि वास्तविक नारी आधुनिकता में कहीं लुप्त हैं 

आधुनिकरण के क़हर से ख़ुद को बचा पाओगे क्या 

जो हो सच में वैसा ही बन पाओगे क्या 

सहज सरल सम रह पाओगे क्या ?


संस्कारी नारी करती समाज का उत्थान 

बिन संस्कारों से कैसे करेंगी अपने परिवार का कल्याण 

समाज के कल्याण वास्ते बेटी को संस्कारी करना होगा 

दिखावे के क़हर से मिलकर लड़ना होगा 

दिखावे के क़हर से मिलकर लड़ना होगा 

विदेशों में जाकर भी अपने संस्कारों को ज़िंदा रख पाओगे क्या 

ध्वज भारतीय संस्कृति का दुनिया में लहरा पाओगे क्या 

जो हो सच में वैसा ही बन पाओगे क्या 

सहज सरल सम रह पाओगे क्या ?


संस्कारी माँ संस्कारी बहन जब घर में होती हैं 

वो बीज संस्कारों के ही अपने भाई बेटों में बोती हैं 

संस्कारों से संस्कारों का मान बचा पाओगे क्या 

जो हो सच में वैसा ही बन पाओगे क्या 

सहज सरल सम रह पाओगे क्या ?

कहाँ फ़ुरसत किटी पार्टी की और व्यर्थ के क्रियाकलापों की 

ये तो हैं सोच आधुनीकरण की ,

वरना हमारी तो धरती हैं संस्कारों कि 

यहाँ हर रोज़ ऐतिहासिकता की कहानी हैं 

कभी होली कभी दिवाली ,हर दिवस त्याग और बलिदानि हैं

इस त्याग और बलिदान का मान रख पाओगे क्या 

जो हो सच में वैसा ही बन पाओगे क्या 

सहज सरल सम रह पाओगे क्या ?


हैलोवीन यहाँ मनाने चले हम 

अपनी गाथा को भुलाने चले हम 

कहानी हर त्योहार की अनमोल यहाँ 

ऐसी संस्कृति मिलेंगी और कहाँ 

अपना अमूल्य मोल ज़िंदा रख पाओगे क्या 

अपनी संस्कृति को आगे और ले जा पाओगे क्या 

जो हो सच में वैसा ही बन पाओगे क्या 

सहज सरल सम रह पाओगे क्या ?


दिखावा बड़ा सस्ता हैं शायद क्षणिक लुभाता है 

लेकिन जो आत्मीयता,जो सुकून ,जो प्रेरणा 

सादगी में हैं वो बचा पाओगे क्या 

अपनी अमूल्य सादगी को ज़िंदा रख पाओगे क्या 

जो हो सच में वैसा ही बन पाओगे क्या 

सहज सरल सम रह पाओगे क्या?


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