रौशनी की चाह रौशनी की चाह
माँ, बहन, सखी, पत्नी चलाती संसार सारा। माँ, बहन, सखी, पत्नी चलाती संसार सारा।
माँ रचती है जीव को सदा लुटाती नेह, ऋण चुका ना पाएंगे देकर अपनी देह। माँ रचती है जीव को सदा लुटाती नेह, ऋण चुका ना पाएंगे देकर अपनी देह।
जिम्मेदारी कोई बोझ नहीं है कि किसी एक को ही उठानी पड़े यह तो प्रसाद है जो मिलजुल के बाँ जिम्मेदारी कोई बोझ नहीं है कि किसी एक को ही उठानी पड़े यह तो प्रसाद है जो मिलजुल...
इतिहास गवाह है विवाद के मामले बेदम हुए हैं। इतिहास गवाह है विवाद के मामले बेदम हुए हैं।
मैं एक वक्ता हूँ बस इसकी आत्मा तुम हो ।। मैं एक वक्ता हूँ बस इसकी आत्मा तुम हो ।।