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Anand Kumar

Others

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Anand Kumar

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मैं एक वक्ता हूँ बस

मैं एक वक्ता हूँ बस

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कोरा कागज़ सा था,

ये दिल मेरा, इसमें 

सभी रंग मोहब्बत के

तुमने थे भरे। 


आज तुम तो नहीं हो, पर  

एक कहानी लिखने बैठा हूँ, 

स्याही मेरे कलम की 

प्यार है तुम्हारा,

हर रंग जो इससे निकलेगा, 

वो तुम्हारा होगा, 

हर भाव तुम होगी ।


ये प्रसंग प्रेम का होगा,

इसकी प्रेरणा तुम हो 

स्त्रोत भी तुम ही हो,

मैं बस एक माध्यम हूँ, 

इसका, हर कारक तुम हो

मैं एक वक्ता हूँ बस

इसकी आत्मा तुम हो ।।


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