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Anand Kumar

Tragedy

3.3  

Anand Kumar

Tragedy

।ये दिल नहीं मानता।

।ये दिल नहीं मानता।

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ये दिल नहीं मानता, 

उसकी तस्वीर को ज़हन से मिटने नहीं देता।

बंदी सा रहता है हर पल, 

उसके यादों के साये से, बाहर नहीं आता।

अरमानों को पकड़े रहता है, 

मिलन की आस को, एक पल भी छूटने नहीं देता।


ये दिल नहीं मानता,

उसकी तस्वीर को ज़हन से मिटने नहीं देता।

इश्क़ का अंजाम जानता है, 

ये इज़हार-ए-इश्क़ भी, मुझे करने नहीं देता।

उसका रूप सजाये रखता है,

इन नज़रों में किसी और को बसने भी नहीं देता।


धड़कता रहता है हर पल, 

जुदा होके उससे, मरने नहीं देता।

तड़पता रहता है हर पल,

मुझे दूर उससे, जीने भी नहीं देता।

दीवाना है ये, 

उसकी तस्वीर को ज़हन से मिटने भी नहीं देता।


दिल नहीं मानता।।


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