कविताएँ हाला है तुम्हारी
कविताएँ हाला है तुम्हारी


हरिवंश नाम है,
वंश के दीपक तुम,
साहित्य गगन में
दिवाकर से सुशोभित तुम।
मधुमय जीवन पाठकों का,
तुम्हारी कविताओं से,
कभी न खाली होती जो, ऐसी
प्रेम-रस की मधुशाला तुम।
कविताएँ हाला है तुम्हारी,
साकी तुम हो, तुम ही प्याला
मैं पथिक पहुंचा तुम तक,
न जाने कब से,
ढूंढता एक मधुशाला।