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Anand Kumar

Abstract

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Anand Kumar

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कविताएँ हाला है तुम्हारी

कविताएँ हाला है तुम्हारी

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हरिवंश नाम है,

वंश के दीपक तुम, 

साहित्य गगन में 

दिवाकर से सुशोभित तुम।


मधुमय जीवन पाठकों का,

तुम्हारी कविताओं से,

कभी न खाली होती जो, ऐसी 

प्रेम-रस की मधुशाला तुम। 


कविताएँ हाला है तुम्हारी,

साकी तुम हो, तुम ही प्याला 

मैं पथिक पहुंचा तुम तक,

न जाने कब से,

ढूंढता एक मधुशाला।


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