वो नज़्म
वो नज़्म


मैं ख़्वाब बन कर
तेरे आँखों में बसना चाहता हूँ,
तेरी खूबसूरती बयां कर सके
मैं वो नज़्म बनना चाहता हूँ।
मैं हँसी बन कर
तेरे होठों पर ठहरना चाहता हूँ,
तेरे दिल को सुकून दे सके
मैं वो नज़्म बनना चाहता हूँ।
मैं खुशी बन कर
तेरे दिल में उतरना चाहता हूँ,
तू रोज़ गुन गुनाए जिसे
मैं वो नज़्म बनना चाहता हूँ।
मैं इश्क़ बन कर
तेरे रूह को छूना चाहता हूँ,
तेरे दिल की आवाज़ बन जाए
मैं वो नज़्म बनना चाहता हूँ ।।