निकल पड़े हैं और यूँ कौतूहल से जा पहुँचे मिलने किसी नज़्म से नाज़ुक नज़्म घबराई निकल पड़े हैं और यूँ कौतूहल से जा पहुँचे मिलने किसी नज़्म से नाज़ुक नज़्म घबराई
आओ देखो... बैठा हूँ लेकर मैं इस मेज पर, कोरा, सफ़ेद एक काग़ज़ और एक पेन्सिल... आओ देखो... बैठा हूँ लेकर मैं इस मेज पर, कोरा, सफ़ेद एक काग़ज़ और एक पेन्सिल...
तुम जो बे-वजह सुनाते हो मेरी जान मुझे ख़ूब है नेक है बेहतर है भला है क्या है तुम जो बे-वजह सुनाते हो मेरी जान मुझे ख़ूब है नेक है बेहतर है भला है क्या है
मैं तो ठहरा बस एक सादा शरबत, हर रस में तुम यारा घुल जाती हो मैं तो ठहरा बस एक सादा शरबत, हर रस में तुम यारा घुल जाती हो
छू गया था तेरा ख़याल मुझे। रात भर चाँदनी सी बरसी है। छू गया था तेरा ख़याल मुझे। रात भर चाँदनी सी बरसी है।
कभी चुप रहकर भी कह देते हैं कुछ अनकहा, कभी बातों को बातों से उलझते हैं। कभी चुप रहकर भी कह देते हैं कुछ अनकहा, कभी बातों को बातों से उलझते हैं।