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Abhisekh Prasanta Nayak

Others

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Abhisekh Prasanta Nayak

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मैं तुम्हारी तरह तो हूँ नहीं

मैं तुम्हारी तरह तो हूँ नहीं

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हाँ, मैं तुम्हारी तरह तो हूँ नहीं,

इस बात की तो मुझे हैरानी नहीं

रख सकूँ जो खुद को तेरे बराबर,

मेरे इस बात की कोई निशानी नहीं

हाँ, मैं तुम्हारी तरह तो हूँ नहीं...


मैं तो ठहरा बस एक सादा शरबत,

हर रस में तुम यारा घुल जाती हो

मैं अतीत के बक्से में यूँ क़ैद रहा,

तुम यादों में कहीं भूल जाती हो

शायद कुछ बात है कि मेरी

तुमसे चलती नहीं,

हाँ, मैं तुम्हारी तरह तो हूँ नहीं...


मैं अपने पैरों पे खड़ा ना हो पाऊँ,

तुमने मगर रख दिये है सौ कदम

मैं शायरी के नगर में ठहर गया,

तुमने मगर लिखे दिये है सौ नज़्म

मुमकिन हो ना पाए कि ये नज़रें

तुमसे मिलती नहीं,

हाँ, मैं तुम्हारी तरह तो हूँ नहीं...



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