अजब है ये तेरी माया...
अजब है ये तेरी माया...


ठहरा है गोल यहाँ मगर कैसा ये संसार है...
संक्षेप में कुछ नहीं यहाँ सब तो ये विस्तार है...
हाथों से तूने अपना पिंजरा है बनाया...
वाह रे ऊपरवाले अजब है ये तेरी माया...
रिश्तों के बीच में बन रही है अब ये दीवारें...
एक तरफ़ है घर यहाँ दूसरे ओर घूमे बंजारे...
जो था यूँ अपना हो गया आज सबसे पराया...
वाह रे ऊपरवाले अजब है ये तेरी माया...
चारों ओर चलता है हर पल हज़ारों लड़ाई...
ना जाने कितनों पर तूने आफत है बरसाई...
विचार है जिनके अलग कैसे तूने मिलाया...
वाह रे ऊपरवाले अजब है ये तेरी माया...
मंज़िल भले है एक पर राहें ठहरे है हज़ार...
दुश्मन काँटे है यहाँ इंतज़ार करता मेरा यार...
प्यार और नफ़रत को तूने इसमें है समाया...
वाह रे ऊपरवाले अजब है ये तेरी माया...
सपने देखते है वही जो है सबसे अनजान...
सच हो जाए अगर वही एक पल में होते हैरान...
कैसा ये तूने है जादू तोना तो दिखाया...
वाह रे ऊपरवाले अजब है ये तेरी माया...