अब तक ज़िन्दा हूँ मैं...
अब तक ज़िन्दा हूँ मैं...


चारों ओर गूँज रहे है मेरे यूँ हज़ारों सवाल कई
नाम पर आते है ये मेरे यूँ तो बवाल कई
मुश्किलों के जंजीरों से तो बन्धा हूँ मैं
चीखकर तो यूँ कह रहा अब तक ज़िन्दा हूँ मैं
बातें है कुछ अनकही उनसे तो अनजान हूँ मैं
जानके भी इन्हें मैं मगर सबसे तो नादान हूँ मैं
आसमानों में उड़ता रहा वो परिन्दा हूँ मैं
चीखकर तो यूँ कह रहा अब तक ज़िन्दा हूँ मैं
अतीत से जूझ रहा मैं उन ख़्यालों में खोया था
गहराइयों में डूब रहा मैं उन नींदों में सोया था
बदले की आग में जल रहा बनके वो दरिंदा हूँ मैं
चीखकर तो यूँ कह रहा अब तक ज़िन्दा हूँ मैं
गूँज रही है कानों में मेरे अतीत के वो सौ बातें
बरस रही है आजकल मुझपर ख़ून के वो बरसातें
पाया है जो ये अंजाम मेरा हुआ इनसे शर्मिन्दा हूँ मैं
चीखकर तो यूँ कह रहा अब तक ज़िन्दा हूँ मैं