जीवन के चलने के लिए
जीवन के चलने के लिए
घर है
घर में
सामान है पर
घर में कोई
रहने वाला नहीं
बचपन की यादों सी
तस्वीरें
अलग अलग रंग लिए बस
घर की दीवारों पर
एक बीते लम्हों के
कैलेंडर सी टंगी है
दो खाली कुर्सियां हैं
उनके बीच मेज पर रखा
एक गुलदस्ता
सफेद महकते फूलों का
सारी पृष्ठभूमि का रंग भी
श्वेत, उज्जवल और
चांदी सा चमकता हुआ है
सफेद फूलों के गुलदस्ते की
टहनियां सूखी और काली हैं
कोई इन्हें यहां आकर
कभी कभी
पानी से भिगो जाता है या
कभी कभी उन्हें हटाकर
इनकी जगह
एक नया गुलदस्ता रख
जाता है
कौन करता है यह सब
जो आता है और
सब कुछ तरोताजा करके
महका जाता है
जीवन के खाली कैनवास में
रंग भर जाता है
रसहीन सी फिजा में
कुछ रस घोल जाता है
यह सब कुछ कमरे की दीवार पर
पड़ती परछाइयां करती हैं या
तस्वीरों की आकृतियां
एक आकृति आसमान से
उतरती है
दूसरी बाग में जाकर
गुलाब के फूल चुनती है और
तीसरी जमीन पर बने
इस घर में
कुछ हरियाली के हरे हरे रंग
भरती है
यह सब अदृश्य शक्तियां हैं पर
इस घर के रखवाले
जीवन के
चलने के लिए
किसी जीवित व्यक्ति का
होना
जरूरी नहीं
यह बेजान वस्तुयें भी
सहारा देती हैं
प्यार करती हैं
दिल रखती हैं
अगर तुम पुकारो इन्हें
किसी विपदा, दुख या
त्रासदी में
पूरे मनोयोग से।
