झूठी मोहब्बत मिटाओ
झूठी मोहब्बत मिटाओ
*झूठी मोहब्बत मिटाओ*
चेहरे पर झूठी मोहब्बत का मुखौटा ना चढ़ाओ
दिलो दिमाग को वहशीपन का रोग ना लगाओ
जिस्म देखकर मोहब्बत करना गुनाह कहलाता
सिर्फ यही गुनाह है जो रूह को नापाक बनाता
मोहब्बत की ये अदा जिस्म की भूख ही बढ़ाती
यही आदत इंसान को हवस का गुलाम बनाती
सोया हुआ वहशीपन ना जाने कब जाग जाता
मासूम सी जिन्दगी को उम्र भर का दर्द दे जाता
यही नशा है जो सभी नशों से नशीला कहलाता
बिना खबर के जिस्म से हर कपड़ा उतार जाता
मोहब्बत ना करो जिस्म को जिस्म से मिलाकर
छोड़ जाएगा तुम्हें दुख दर्द की खाई में गिराकर
यही जिस्मानी चाहत दुनिया को दोजख बनाती
नापाक मोहब्बत ही तवायफ की रवायत लाती
मोहब्बत के उसूलों की तुम पहले करो पहचान
जिस्म छूने की चाहत का मिटाओ नाम निशान
जिस्म किसी का देखकर वहशीपन ना जगाओ
वहशीपन से मोहब्बत करने की आदत मिटाओ
दौलते इज्जत को ऐसे ही खाक में ना मिलाओ
अपने ज़ेहन को सोने जैसा पाक साफ बनाओ
सबके खातिर दिल में रूहानी जज़बात जगाओ
पाक मोहब्बत का झरना अपने दिल में बहाओ
तवायफी रिवाज को तुम इस दुनिया से मिटाओ
औरत को समाज में बराबर की इज्जत दिलाओ।